Friday, June 15, 2007

the blackout in darkess

Child Sexual Abuse

Before I come to what this actually means, just one thing, once struck with an act of molestation or rape, it is easy for the victim to recover physically, but it is practically rare that one comes out of the mental trauma. This is one state where the whole ‘self’ concept comes to an end.

Child sexual abuse is a sensitive issue for the girl child protection which has had devastating effects on the girl ranging from HIV Aids to traumatic effects on family and social life. Here, in India, in a society where women are supposedly kept safe under the drapes of saris and burkhas, there is an alarming rate of sexual abuse in terms of rape, molestation, incest, early marriage and other states of indecent assault. Facts say that 45% girls in India are married before their eighteenth birthday. It is a matter of shame on the part of society that almost 45% of girls in India are tied in a wed lock before they reach the age of eighteen, the legal age to marry. The number easily crosses 50% in eight states. While 52.5% of the cases of under-18 marriages were found to be in rural areas, while the number stood at 28.1% in urban India. All this clarifies is that the problem is connected to various other problematic issues of public interest. Factors like education, openness in parent child relationship, child teacher relationship, poverty, superstitious nature of society, and the narrow minded range of vision of the people are basic loss points in resolving the issue.It is seen that the girl child is prone to this act both from known persons and unknown strangers. This is how vulnerable we could get, when our fathers, brothers and relatives look at us in a feeling for forced sexual desire.This calls for a huge awareness campaign, to reduce the probability of such an event.

We need to look after the little girls and their dignity after such events as well, help them resettle and start afresh. Also issues like education for girls, parents, siblings, and awareness about issues like HIV need to be taken care of. We need to organize child friendly psychological counseling sessions and clinical care. And what is most important is that in a society like ours we have to reach out to help these girls who are still shy about talking all this to folks or anyone else for that matter. It is therefore important to keep their rights of privacy when helping them. One of the most important issues in this is justice. We need to get justice in order to redeem the ‘self’ concept, the pride and dignity factor which boosts the rehabilitation of the victims.We need to gather support from people in order to organize training and other capacity development services to doctors, nurses, teachers, trainers, schools and colleges, slum coordinators, lawyers and many others in the continuum to fight sexual abuse.And this is still just the beginning, we might fall a lot of times in order to turn out a stronger community with a broader perspective.

We’ll have to produce various anti campaigns, with a series of posters, handbooks, theatrical and entertaining means, radio coverage, one to one information exchange as much as possible, bring the issue in public eye as important agenda for change and after that still sustain the efforts.

Vote for india


ताज महल को आपकी मदद की ज़रूरत है! अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर दुनिया के नए सात अजूबे खोजने के लिए एक प्रतियोगिता आयोजित की जा रही है, जिसमें ताज महल 21 अन्य ऐतिहासिक इमारतों की सूची में पीछे से दूसरे स्थान पर है। दुनिया के नए सात अजूबों की घोषणा इसी साल 7 जुलाई को लिस्बन, पुर्तगाल में की जाएगी। हाल में मशहूर संगीतकार एआर रहमान ने 1 मीडिया कॉर्प लि. द्वारा चलाई जा रही इस मुहीम हो आगे बढ़ाने के लिए एक दिलकश धुन तैयार की है, यह ताज महल, आगरा को वोट करने की मुहीम इसे दुनिया के नए सात अजूबों में जगह दिलाने के लिए है।
के ज़रिए वोट करने के लिए इंडियाइंफ़ो.कॉम पर जाएँ या 'TAJ' लिखकर 4567 पर एसएमएस करें या फिर '1255545' डायल करें (बीएसएनएल मोबाइल/लैण्डलान उपभोक्ता), '127777' डायल करें (एमटीएनएल उपभोक्ता) या सीधे वोट करने के लिए न्यू7वंडर्स.कॉम पर जाएँ।

कहानी टीवी धारावाहिकों की!

आजकल के हिन्दी धारावाहिक बड़े ही अद्भुत हैं। इन्हें देखकर मैं आश्चर्यचकित रह जाता हूँ। पहली बात तो यह कि इनका नाम ही देखने लायक होता है। मैंने देखने लायक कहा, न कि पढ़ने लायक; क्योंकि इनके नामों की वर्तनी ही इतनी निराली होती है कि उसे पढ़ना अपने आप में काफ़ी मुश्किल काम है। e की जगह a का, a की जगह e का और जगह-जगह पर ii (दो बार आई) का इस्तेमाल तो एक आम-सी बात है। फिर इन धारावाहिकों के नाम के पहले अक्षर में 'क' की वही अहमियत है; जो वेदों में ओंकार की, नाज़ियों में स्वस्तिक की और मर्सिडीज़ कार में आगे लगे सितारे की होती है।

खैर ये तो कुछ भी नहीं है जनाब ! इनकी कहानी तो देखने वालों का भेजा घुमा देती है। आपकी सारी पूर्वनिर्धारित धारणाएँ ध्वस्त हो जाती हैं। जैसे कि इन धारावाहिकों में दिखाए जाने वाले विभिन्न किरदारों को बार-बार 'संस्कारी' कहा जाता है। लीजिए, खा गए न गच्चा। अरे ये वो संस्कारी नहीं हैं, जो आप समझ रहे हैं। इनकी परिभाषा ज़रा हट कर है। अब आप पूछेंगे भला कैसे हटकर है? इनके अनुसार संस्कारी होने से मतलब उस इंसान से है; जिसके विवाहेतर सम्बन्ध हों, जो दूसरों की बातें बाहर से दरवाज़े पर कान लगाकर सुनने का चिर अभ्यासी हो, जो दूसरे को नीचा दिखाने का कोई भी मौक़ा न गंवाता हो और षड्यन्त्र करने में माहिर करने में माहिर हो।

इन धारावाहिकों के धारावाहिकों के सम्वाद बड़े ही उबाऊ होते हैं, लेकिन दर्शक फिर भी पूरी तल्लीनता से कान लगाकर इन्हें सुनते हैं। हालाँकि शुरु में सम्वाद-लेखक का नाम भी लिखा आता है, लेकिन मैं नहीं मानता कि ये सम्वाद किसी इंसान ने लिखे हैं। मुझे पूरा यक़ीन है कि ये सम्वाद कम्प्यूटरीकृत होते हैं। मेरे हिसाब से सम्वाद लिखने का काम कोई सॉफ़्टवेयर करता है, जो अपने सीमित डेटाबेस के 'संस्कार', 'सिंदूर', 'आदर्श', 'परम्परा', 'परिवार' और 'आदर' वगैरह शब्दों को randomly लगाकर नए-नए वाक्यों को गढ़ता रहता है। जैसे कि 'बुज़ुर्गों का आदर करना हमारे परिवार की परम्परा है' वगैरह वगैरह वगैरह।

ये सभी 'क'सभी 'क' अक्षर से शुरू धारावाहिक वक़्त बर्बाद करने के लिए बेहतरीन ज़रिया हैं। यदि आप खाली बैठे हैं और समय काटे नहीं कट रहा (भगवान करे ऐसा आपके साथ कभी न हो, क्योंकि ऐसा तो सिर्फ़ नौकरी छूटने के बाद ही होता है), तो अपना टीवी खोलें और ऐसा ही कोई धारावाहिक ज़रूर देखें। फिर मुझे बताएँ कि इन धारावाहिकों के बारे में मेरे विचार कितने सही हैं।